Sunday 25 November 2012

गाँधारी

जब भी देखता हूँ 
इन्साफ की देवी की मूरत 
न जाने क्यों..
ऐसा लगता है कि "जानबूझ" के 
बाँध दी गई है ये काली पट्टी 
कस के आँखों पे - देख न पाए 
व्यवस्था के अत्याचार
सत्ता के अभिचारी षडयंत्र 
रसूकदार व्यभिचार 
होता रहे फैंसलो में विलंभ
....जब भी देखता हूँ
इन्साफ के देवी की मूरत
न जाने क्यों..
"गाँधारी" की याद आती है...
सबकुछ देख पाने की क्षमता होने पर भी
आँखों पे पट्टी ..बाँध लेना
किसी योजना को हिस्सा तो नहीं
भगवान् श्री कृष्ण को भी श्रापित करने वाली
ये आँखों पे बंधी पट्टी
न्याय संगत हो ही नहीं सकती.....

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