वक़्त को करवट बदलता देख
साएँ भी अपना रुख बदल लेते हैं
कभी अँधेरो में भी साथ चलते हैं
कभी दिन में ही तनहा करे देते हैं
साएँ भी अपना रुख बदल लेते हैं
कभी अँधेरो में भी साथ चलते हैं
कभी दिन में ही तनहा करे देते हैं
अपने तारुफ्फ़ में बस इतना ही कह पाऊँगा ..................... कि जब तक भी जियूँगा जिंदा नज़र आऊँगा !!
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