इनकी बातें ख़त्म कहाँ होंगी
रात और नींद दो सहेलियाँ हैं
कोई सुलझा नहीं पाया इनको
इश्क और जिस्त दो पहेलियाँ हैं
रात और नींद दो सहेलियाँ हैं
कोई सुलझा नहीं पाया इनको
इश्क और जिस्त दो पहेलियाँ हैं
अपने तारुफ्फ़ में बस इतना ही कह पाऊँगा ..................... कि जब तक भी जियूँगा जिंदा नज़र आऊँगा !!
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