लोग अंधेरो की तलाशी लेते रहे
गुनाह उजालों में छुपा के रखे थे
जाने कब बंध गए दामन से तेरे
जो आँसू मैंने सीने में दबा के रखे थे
गुनाह उजालों में छुपा के रखे थे
जाने कब बंध गए दामन से तेरे
जो आँसू मैंने सीने में दबा के रखे थे
अपने तारुफ्फ़ में बस इतना ही कह पाऊँगा ..................... कि जब तक भी जियूँगा जिंदा नज़र आऊँगा !!
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