जो कर नहीं पाए ,
ज़िन्दगी ..उन गुनाहों कि भी सजा देती है
जब लोग ना हक तोहमते लगाते हैं
खुद्दारी बेबाक हो के मुस्कुरा दती है
बस इक ख्वाइश खुश रहने कि
रुला देती है
बस कि इक कोशिश जिंदा रहने की
जाँ ले लेती है
जो कर नहीं पाए ,
ज़िन्दगी ..उन गुनाहों कि भी सजा देती है ....
ज़िन्दगी ..उन गुनाहों कि भी सजा देती है
जब लोग ना हक तोहमते लगाते हैं
खुद्दारी बेबाक हो के मुस्कुरा दती है
बस इक ख्वाइश खुश रहने कि
रुला देती है
बस कि इक कोशिश जिंदा रहने की
जाँ ले लेती है
जो कर नहीं पाए ,
ज़िन्दगी ..उन गुनाहों कि भी सजा देती है ....
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