फाँसले कुछ कम हुए पर दूरियाँ बढती गईं
कोशिशें तो की मगर मजबूरियाँ बढती गईं
नसीब के हाथों शिकस्त मिलती रही वक़्त को
ज्यों ज्यों दिन चढ़ता गया बेनूरियाँ बढती गईं
कोशिशें तो की मगर मजबूरियाँ बढती गईं
नसीब के हाथों शिकस्त मिलती रही वक़्त को
ज्यों ज्यों दिन चढ़ता गया बेनूरियाँ बढती गईं
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