अभी तो ये इब्तेता है मेरे जूनून की
अब तू खैर मनाना अपने सकून की
इसी अँधेरे को जला के उजाला कर दूँगा
तुने देखि कहा है गर्मी मेरे खून की
अब तू खैर मनाना अपने सकून की
इसी अँधेरे को जला के उजाला कर दूँगा
तुने देखि कहा है गर्मी मेरे खून की
अपने तारुफ्फ़ में बस इतना ही कह पाऊँगा ..................... कि जब तक भी जियूँगा जिंदा नज़र आऊँगा !!
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