वो अपने दामन से हवा करके बोले
बुझाए देते हैं लो ये सुलगते शोले
बुझाए देते हैं लो ये सुलगते शोले
-----------------------------------------
वो बोले आज शाम को साथ बैठ चाय पीएँगे
गोया की सुई में धागा पिरो के लाए हैं
देखो !! अब क्या होगा
गोया की सुई में धागा पिरो के लाए हैं
देखो !! अब क्या होगा
ज़ख्म रफू होगे या फिर लबों को सीएँगे
----------------------------------------
किसी का चित्र नोटों पे
किसी का चिन्ह वोटो पे
शहीदों तुम ह्रदय में हो
तुम्हारा नाम होंठो पे .....
किसी के महल जनपथ पे
किसी का राज घाटों पे
शहीदों तुम ज़हन में हो
चरण की ख़ाक माथों पे .....
किसी के चित्र संसद में
कई हुए रत्न भारत के
शहीदों तुम रगों में हो
तुम हो रक्त भारत के ...
किसी का चिन्ह वोटो पे
शहीदों तुम ह्रदय में हो
तुम्हारा नाम होंठो पे .....
किसी के महल जनपथ पे
किसी का राज घाटों पे
शहीदों तुम ज़हन में हो
चरण की ख़ाक माथों पे .....
किसी के चित्र संसद में
कई हुए रत्न भारत के
शहीदों तुम रगों में हो
तुम हो रक्त भारत के ...
--------------------------------------
मुझे यकीं था कि वो दगा देगा
चलो इक इंतज़ार खत्म हुआ
चलो इक इंतज़ार खत्म हुआ
-----------------------------------------------
0 comments:
Post a Comment