"सोहबत का असर " नहीं तो इसे और क्या कहें
आइनों के किरदार भी अब कुछ अच्छे नहीं रहे
आइनों के किरदार भी अब कुछ अच्छे नहीं रहे
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सूरत सवारने को आइना ले आए
सीरत का क्या है, वो तो पर्दा नशीं है
सीरत का क्या है, वो तो पर्दा नशीं है
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सपनो के हर शहर को नाउम्मीदी ने घेरा है
उजले लिबासों में फरेबों का बसेरा है ......
चलो सब जुगनू मिलके सूरज नया बनाते हैं
सुबह से शाम तक घोर अँधेरा है ......
जहाँपना को तौह्फे में इक आइना था दे आया
इतना सा गुनाह, यारो बस मेरा है.......
यहाँ किस किसकी प्यास बुझाये "नीरज"
नेज़े हजारो हैं और सर- एक मेरा है .....
उजले लिबासों में फरेबों का बसेरा है ......
चलो सब जुगनू मिलके सूरज नया बनाते हैं
सुबह से शाम तक घोर अँधेरा है ......
जहाँपना को तौह्फे में इक आइना था दे आया
इतना सा गुनाह, यारो बस मेरा है.......
यहाँ किस किसकी प्यास बुझाये "नीरज"
नेज़े हजारो हैं और सर- एक मेरा है .....
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देखते ही देखते बच्चे बड़े हो जाते है
इतने बड़े
कि उन्हें वो ख्वाब भी छोटे लगने लगते हैं
जो उनके माँ-बाप ने कभी "उनके" लिए देखे थे
इतने बड़े
कि उन्हें वो ख्वाब भी छोटे लगने लगते हैं
जो उनके माँ-बाप ने कभी "उनके" लिए देखे थे
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वो के.. तुम,..जिस पे, ..हँस के .....चल थे दिए
वो मेरी ज़िन्दगी का सवाल था .. शायद
वो मेरी ज़िन्दगी का सवाल था .. शायद
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उजाला देखने के लिए
जगना ज़रूरी है
सिर्फ आँखें खोल लेने से
अँधेरे नहीं जाते
जगना ज़रूरी है
सिर्फ आँखें खोल लेने से
अँधेरे नहीं जाते
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कलाई पे बंधी घडी के रुक जाने से
कभी वक़्त नहीं रुकता
अरे ये तो इतना संगदिल है कि
नब्ज़ के रुकने पे भी नहीं रुकता ....
कभी वक़्त नहीं रुकता
अरे ये तो इतना संगदिल है कि
नब्ज़ के रुकने पे भी नहीं रुकता ....
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हुनर जो सीख लिया होता बुतपरस्ती का
तो आज मैं भी खुदा होता किसी बस्ती का
तो आज मैं भी खुदा होता किसी बस्ती का
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कुछ रिश्ते ही ये ऐसे हैं जिनमें सब्र की
कड़ी आजमाइश रहती है
दोस्ती में दुश्मनी की, दुश्मनी में दोस्ती की
सदा गुंजाईश रहती
कड़ी आजमाइश रहती है
दोस्ती में दुश्मनी की, दुश्मनी में दोस्ती की
सदा गुंजाईश रहती
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इस दुनिया के रंग देख के हैरान सा हूँ मैं
अपने ही घर में अनचाहे महमान सा हूँ मैं
मुझको क्या खबर कि मेरे साथ क्या हुआ
लोगों से सुना है कि कुछ परेशान सा हूँ मैं
और क्या सुनाऊँ क्या पढ़ रहे हो दोस्त
अपनी कलम कि तरहां ही बेजान सा हूँ मैं
अपने ही घर में अनचाहे महमान सा हूँ मैं
मुझको क्या खबर कि मेरे साथ क्या हुआ
लोगों से सुना है कि कुछ परेशान सा हूँ मैं
और क्या सुनाऊँ क्या पढ़ रहे हो दोस्त
अपनी कलम कि तरहां ही बेजान सा हूँ मैं
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वो शख्स जो
वक़्त को
बदल सकते हैं
वक़्त
सबसे पहले
उन्हीं को
बदलता है ....
वक़्त को
बदल सकते हैं
वक़्त
सबसे पहले
उन्हीं को
बदलता है ....
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रेत पे दुनिया "लिखता" रहा और मिटाता रहा
दिवाना खुद को "खुदा" समझ के इतराता रहा
था तुमसे मिलके तुम्हारे बारे में जानना चाहा
तुमसे मिलने के बाद मैं खुद से कतराता रहा
दिवाना खुद को "खुदा" समझ के इतराता रहा
था तुमसे मिलके तुम्हारे बारे में जानना चाहा
तुमसे मिलने के बाद मैं खुद से कतराता रहा
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जो मुल्क के हुक्मरान हैं
ये खुद किसी के ग़ुलाम हैं
इनकी बुतपरस्ती को तो
खुदा भी करता सलाम है
ये तो पुतलियाँ हैं काठ की
न ज़मीर हैं न इनमें जान है
तीरों की ज़द पे है जम्हूरियत
और हाथों में इनके कमान हैं
ये नहीं है मुन्तजिर दाद की
ये ग़ज़ल नहीं इक पैगाम है
ये खुद किसी के ग़ुलाम हैं
इनकी बुतपरस्ती को तो
खुदा भी करता सलाम है
ये तो पुतलियाँ हैं काठ की
न ज़मीर हैं न इनमें जान है
तीरों की ज़द पे है जम्हूरियत
और हाथों में इनके कमान हैं
ये नहीं है मुन्तजिर दाद की
ये ग़ज़ल नहीं इक पैगाम है
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उँगली से उलझती हुई जुल्फें
सवालिय निशाँन बन गईं
मेरी ज़रा सी अर्ज़ -ए-विसाल पे
भवें, मानिन्द-ए-कमान तन गई
सवालिय निशाँन बन गईं
मेरी ज़रा सी अर्ज़ -ए-विसाल पे
भवें, मानिन्द-ए-कमान तन गई
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ये सब जाबते की बातें हैं
प्यार-इश्क-मुहब्बत-वफ़ा
प्यार-इश्क-मुहब्बत-वफ़ा
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तुम क्या मुझ से दुश्मनी निभाओगे
ये दोस्ती नही है जो फरेब दे जाओगे
ये दोस्ती नही है जो फरेब दे जाओगे
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बस कि चन्द लम्हें मुझे और जी लेने दे अज़ल
एक मिसरे में न कह पाऊँगा ज़िन्दगी की ग़ज़ल
एक मिसरे में न कह पाऊँगा ज़िन्दगी की ग़ज़ल
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जाले ज़हन पे लगे हैं
आईना न साफ़ कर
आँखें न अपनी मल
आईना न साफ़ कर
आँखें न अपनी मल
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तू कितना बदल गया कभी आईने में देख
ए वक़्त तू खुद, खुद को न पहचान पाएगा
ए वक़्त तू खुद, खुद को न पहचान पाएगा
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मैं जानता हूँ वो मेरे हाल से अनजान नहीं है
तो फिर ये कैसे मानलूँ कि वो परेशान नहीं है
मुझे छोड़ के तन्हाईयाँ जाए भी तो कहाँ जाए
इस दुनिया में कोई मुझ जैसा मेजबान नहीं है
जब भी चोट खायेगा तो ये चिल्लाएगा ज़रूर
ये दिल खिलौना ही सही पर बेजुबान नहीं हैं
तो फिर ये कैसे मानलूँ कि वो परेशान नहीं है
मुझे छोड़ के तन्हाईयाँ जाए भी तो कहाँ जाए
इस दुनिया में कोई मुझ जैसा मेजबान नहीं है
जब भी चोट खायेगा तो ये चिल्लाएगा ज़रूर
ये दिल खिलौना ही सही पर बेजुबान नहीं हैं
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ये बात और है कि अभी जिंदा हूँ
पर मैं भी सच्चाई का नुमाइन्दा हूँ
बारिशों को कोई बताता ही नहीं
भई मैं भी इसी शहर का बाशिंदा हूँ
बेतकुल्लफी में कर तो बैठा मगर
अब तक उस सवाल पे शर्मिंदा हूँ
पर मैं भी सच्चाई का नुमाइन्दा हूँ
बारिशों को कोई बताता ही नहीं
भई मैं भी इसी शहर का बाशिंदा हूँ
बेतकुल्लफी में कर तो बैठा मगर
अब तक उस सवाल पे शर्मिंदा हूँ
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चलो देखते हैं आज के उजाले कहा तक साथ निभाएंगे
ये रात को ठहरेंगे या फिर शाम ढलते ही चले जाएँगे
ये रात को ठहरेंगे या फिर शाम ढलते ही चले जाएँगे
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ए यार तुझे मैं ही मिला था इस दिललगी के लिए
कोई किसी का घर भी जलाता है रौशनी के लिए
कोई किसी का घर भी जलाता है रौशनी के लिए
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कौन कहता है कि
जो बोओगे, वही काटोगे
नेताओ ने
भ्रष्टाचार के बीज बोये
काले धन की फसल काटी
विदेशी गोदामों में भरली
और गरीब के धान के बीज
ज़मीन के भीतर ही दफ़न हो जाते हैं
किसान पानी को तरस जाते
बादल समंदर पे बरस जाते हैं
कौन कहता है कि
जो बोओगे, वही काटोगे
जो बोओगे, वही काटोगे
नेताओ ने
भ्रष्टाचार के बीज बोये
काले धन की फसल काटी
विदेशी गोदामों में भरली
और गरीब के धान के बीज
ज़मीन के भीतर ही दफ़न हो जाते हैं
किसान पानी को तरस जाते
बादल समंदर पे बरस जाते हैं
कौन कहता है कि
जो बोओगे, वही काटोगे
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माना कि ज़माना ख़राब है
हाँ !! बंद रखो किवाड़ो को
पर कोई खिड़की तो खुली रखो
ताज़ी हवा के भीतर आने को ....
माना कि ये शोर झूठा है
हाँ !! बंद करलो अपने कानो को
पर आँखे तो अपनी खुली रखो
सच्चाई से नज़रे मिलाने को .....
हाँ !! बंद रखो किवाड़ो को
पर कोई खिड़की तो खुली रखो
ताज़ी हवा के भीतर आने को ....
माना कि ये शोर झूठा है
हाँ !! बंद करलो अपने कानो को
पर आँखे तो अपनी खुली रखो
सच्चाई से नज़रे मिलाने को .....
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बस इतनी शिकायत है मुझे ज़माने से
कि ये बाज़ नहीं आता है दिल दुखाने से
तौबा मयकशी से करना तो चाहता है दिल
पर कभी फुर्सत नहीं मिलती पीने-पिलाने से
"ईद" इस बार अपने घर पे ही मना के देखें
शायद खुद से हो जाए मुलाक़ात इसी बहाने से
कि ये बाज़ नहीं आता है दिल दुखाने से
तौबा मयकशी से करना तो चाहता है दिल
पर कभी फुर्सत नहीं मिलती पीने-पिलाने से
"ईद" इस बार अपने घर पे ही मना के देखें
शायद खुद से हो जाए मुलाक़ात इसी बहाने से
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मैं तो तुम्हारे साथ तुम्हारे कहे पे चलता रहा
तुमने जो भी चाहा वो सब करता रहा
तुम्हें बचाए रखने को हर लम्हा मरता रहा
तुम्हें खफा न कर बैठूँ इस बात से डरता रहा
तुम्हारी खातिर अपना हर रिश्ता तोड़ डाला
दोस्ती का वफ़ा का गला घोंट डाला
तुम्हें सवारने में मैंने अपनी उम्र लगा दी
तुम्हारे गुनाहों की भी खुद को सज़ा दी
और एक तुम हो कि फिर भी मुझसे खफा हो
लोग सच ही कहते हैं "ज़िन्दगी" तुम बहुत बे-वफ़ा हो
तुमने जो भी चाहा वो सब करता रहा
तुम्हें बचाए रखने को हर लम्हा मरता रहा
तुम्हें खफा न कर बैठूँ इस बात से डरता रहा
तुम्हारी खातिर अपना हर रिश्ता तोड़ डाला
दोस्ती का वफ़ा का गला घोंट डाला
तुम्हें सवारने में मैंने अपनी उम्र लगा दी
तुम्हारे गुनाहों की भी खुद को सज़ा दी
और एक तुम हो कि फिर भी मुझसे खफा हो
लोग सच ही कहते हैं "ज़िन्दगी" तुम बहुत बे-वफ़ा हो
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वो तैरना जानता सो कभी डूब नहीं पाएगा
लिहाजा अपनी मंजिल तक न पहुँच पाएगा
लिहाजा अपनी मंजिल तक न पहुँच पाएगा
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मुझे बादलो पे भरोसा है बरसात पे भरोसा है
हर दिन पे भरोसा है हर रात पे भरोसा है
सोच पे भरोसा है ख़यालात पे भरोसा है
वक़्त पे भरोसा है हालात पे भरोसा है
मुझे खुद पे भरोसा है और आप पे भरोसा है
हर दिन पे भरोसा है हर रात पे भरोसा है
सोच पे भरोसा है ख़यालात पे भरोसा है
वक़्त पे भरोसा है हालात पे भरोसा है
मुझे खुद पे भरोसा है और आप पे भरोसा है
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ये ज़रूरी तो नहीं
हर गीत गुनगुनाया जाए
हर दर्द सुनाया जाए
हर ज़ख्म दिखाया जाए
हर अश्क बहाया जाए
हर रिश्ता बढ़ाया जाए
हर कौल निभाया जाए
वक़्त का तकाज़ा यही है
अब थोडा बदल जाया जाए
हर गीत गुनगुनाया जाए
हर दर्द सुनाया जाए
हर ज़ख्म दिखाया जाए
हर अश्क बहाया जाए
हर रिश्ता बढ़ाया जाए
हर कौल निभाया जाए
वक़्त का तकाज़ा यही है
अब थोडा बदल जाया जाए
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वक़्त की फितरत है बदलते रहना
वक़्त अपनी फितरत नहीं बदलता कभी
वक़्त अपनी फितरत नहीं बदलता कभी
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संगतराशो के हुनर की हो रही आजमाइश है
बुत संगदिल भी हों ये ज़माने की फरमाइश हैं
बुत संगदिल भी हों ये ज़माने की फरमाइश हैं
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बस कि इसका उन्वान ही मुहब्बत है
वगरना ज़िन्दगी, कहानी है बेवफाई की
वगरना ज़िन्दगी, कहानी है बेवफाई की
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वो खुद को कहते हैं जो रहनुमा आबादी के
तमाशबीन हैं सब इस देश की बर्बादी के
चापलूसी को जो वफादारी का नाम देते हैं
ये लोग काबिल ही नहीं थे कभी आज़ादी के
तमाशबीन हैं सब इस देश की बर्बादी के
चापलूसी को जो वफादारी का नाम देते हैं
ये लोग काबिल ही नहीं थे कभी आज़ादी के
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अपनी हदों में रहना सीख ज़रा समंदर से
नहीं तो अंजाम जा के पूछ ले सिकंदर से
नहीं तो अंजाम जा के पूछ ले सिकंदर से
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हमें नहीं आता यूँ खुद को दगा देना
हाथ मिला लेना, दोस्त बना लेना
हाथ मिला लेना, दोस्त बना लेना
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तुम्हें वहम है कि आइना पत्थरों से डर जाएगा
टूटने के बाद भी ये सही अक्स ही दिखलायेगा
टूटने के बाद भी ये सही अक्स ही दिखलायेगा
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लोग अपने-अपने घर को बिजलियों से बचाते रहे
और चिराग सजीशें रच-रच के शहरों को जलाते रहे
पानी से भरी प्यासी नदी, दरिया से मिलने को चली
मुहब्बत के दुश्मन उसे रोकने को बाँध बनाते रहे
किसको यहाँ फुर्सत के पूछे तेरी खैरियत मेरे "खुदा"
तू शुक्र कर तुझसे से डर के ये तेरे दर पे तो आते रहे
और चिराग सजीशें रच-रच के शहरों को जलाते रहे
पानी से भरी प्यासी नदी, दरिया से मिलने को चली
मुहब्बत के दुश्मन उसे रोकने को बाँध बनाते रहे
किसको यहाँ फुर्सत के पूछे तेरी खैरियत मेरे "खुदा"
तू शुक्र कर तुझसे से डर के ये तेरे दर पे तो आते रहे
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मेरे सवालो में वो अपने जवाब ढून्ढ रहा है
बंजर आँखों में अब भी सैलाब ढून्ढ रहा है
बंजर आँखों में अब भी सैलाब ढून्ढ रहा है
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अपनी नज़रों के सामने से नहीं हिलने देते
जाने क्यों लोग मुझे, मुझसे नहीं मिलने देते
मेरे रकीबों की ये कोशिश कि मैं हँस न सकूं
अश्क मेरे दोस्त मेरी आँखों से नहीं गिरने देते
जाने क्यों लोग मुझे, मुझसे नहीं मिलने देते
मेरे रकीबों की ये कोशिश कि मैं हँस न सकूं
अश्क मेरे दोस्त मेरी आँखों से नहीं गिरने देते
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हमारा नाम जनता है
हमी से जनतंत्र बनता है
नारे हम लगाते हैं
सरकारे हम बनाते हैं
हम सब जानते भी हैं
सबको पहचानते भी हैं
पर फिर भी धैर्य रखते हैं
थोड़ी नरमी बरतते हैं
मगर जब आई पे आते हैं
तख्तो को हिलाते है
तो महलो को गिराते हैं
वो जो इस मिट्टी के दुश्मन हैं
उन्हें मिट्टी में मिलाते हैं
हमारा नाम जनता है.......
हमी से जनतंत्र बनता है
नारे हम लगाते हैं
सरकारे हम बनाते हैं
हम सब जानते भी हैं
सबको पहचानते भी हैं
पर फिर भी धैर्य रखते हैं
थोड़ी नरमी बरतते हैं
मगर जब आई पे आते हैं
तख्तो को हिलाते है
तो महलो को गिराते हैं
वो जो इस मिट्टी के दुश्मन हैं
उन्हें मिट्टी में मिलाते हैं
हमारा नाम जनता है.......
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आदत कहाँ हमें इतने एहतराम की
ए ज़िन्दगी तू ज़रा बेरुखी से पेश आ
ए ज़िन्दगी तू ज़रा बेरुखी से पेश आ
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नेज़े means what ?
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